sidh kunjika Fundamentals Explained
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥ ९ ॥
अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ १० ॥
सिद्ध click here कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः शुभो भवेत।।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः